परीक्षा के लिए मनोवैज्ञानिक माहौल कैसे बनाएं ?
एक बार मेरे पास एक क्लाइंट आए , उनके बच्चे का नीट के पेपर के दौरान एक बहुत ही अजीब सा अनुभव रहा था। वह बच्चा एक पेन को बड़ा लक्की मानता था और जब वह बच्चा उसे पेन को लेकर पेपर देने गया तो वहां पर निरीक्षण करने वाले टीचर ने उसका वह पेन उठाकर डस्टबिन में फेंक दिया। जिससे बच्चा बहुत ही ज्यादा चिंतित हो गया और उसके पेपर में बहुत ही अजीब से नंबर आए। जब यह बात हमें पता चली तो हमने इस केस की स्टडी की और उस बच्चे की काउंसलिंग की ताकि वह अगली बार अपना पेपर अच्छा दे सके। आपको यह जानकर बहुत ही खुशी होगी कि उस बच्चे के अगले प्रयास में बहुत ही अच्छे नंबर आए और आज वह एक बहुत ही अच्छे इंस्टिट्यूट में एमबीबीएस के लिए पढ़ाई कर रहा है। केवल बच्चे ही ऐसी बातों से प्रभावित नहीं होते बल्कि उनके माता-पिता के भी बहुत ही अजीब से विचार होते है जिनके कारण बच्चों को पेपर देने से पहले अपनी तैयारी करते समय भी मानसिक रूप से परेशानियों से गुजरना पड़ता है।
हम परीक्षा के दौरान और उससे पहले बच्चों के लिए अच्छा मनोवैज्ञानिक माहौल कैसे बना सकते हैं? इस आलेख में इस बिंदु पर प्रकाश डाला गया है।
टाइम मैनेजमेंट
टाइम मैनेजमेंट को बड़ा ध्यान में रखें ।आप तैयारी कर रहे हैं या नहीं कर रहे हैं इन सब चीजों में एक समान बात यह है कि ‘हम अपने समय को व्यवस्थित नहीं कर सकते बल्कि हमें अपनी दैनिक गतिविधियों को ही व्यवस्थित करना होता है’। हमारी पढ़ाई निरंतर चलती रहे और ऐसे ही हम चीजों को मैनेज करना सीख जाए । हम लचीला टाइम मैनेजमेंट बनाना सीख जाए । रोज 2 घंटे पढ़ना है लेकिन एक दिन कोई फंक्शन आ गया घर में कोई गेस्ट आ गए । तब इस बात पर ज्यादा फोकस करना कि हम तो पढ़ नहीं पाए हैं और हम उस दिन परेशान होकर अगले दिन भी पढ़ाई नही कर पाते हैं। आप उस दिन नहीं पढ़ पाए तो उस बात पर ज्यादा फोकस नहीं करना है ।
साइकोलॉजी की एक अप्रोच है गेस्टाल्ट थिंकिंग ।
इसके अनुसार हम चीजों को उनके पूरे आकार के रूप में देखते हैं या फिर उसके किसी एक टुकड़े को ही पूरा समझ लेते हैं । तैयारी करते समय इस बात का ध्यान रखें कि आप किसी विषय के किसी भी टॉपिक को अगर व्यवस्थित समय के अनुसार नए कर पाए तो हमें निराश नहीं होना है। अगर हमें उसे छोटे से भाग की तैयारी न होने पर चिंता हो रही है तो इसका मतलब है कि हम उसे छोटे से भाग को ही अपने पूरे विषय की तैयारी समझ रहे हैं । उसके साथ में एक चीज को और ध्यान रखें आप कितनी तैयारी कर रहे हैं इससे ज्यादा यह भी महत्वपूर्ण है कि आपकी अनुरूपता (सूटेबिलिटी) नंबर कितने है । आप ने 100% किताब को आपने पढ़ लिया है,इसका मतलब यह नहीं है कि आपका 100 में से 100 नंबर आने वाले हैं इस बात को ध्यान में रखते हुए अपने टाइम को मैनेज करें । एक या दो परसेंट टाइम मैनेजमेंट की प्रॉब्लम भी आ जाए तो थोड़ा सा अपने जीवन में लचीलेपन को शामिल करें । आपको बिल्कुल गांठ बांधने वाला या सख्त टाइम मैनेजमेंट बनाने की कोई जरूरत नहीं है |
कंटेंट रेटिंग
कंटेंट को मैनेज करना सीखे । कई ऐसे चैप्टर होते हैं जिनमें हम बहुत अच्छा कर चुके हैं और कई टोपिक में कम समझ होती है । यह बात हर समय हमें परेशान करती है। मनोविज्ञान कहता है कि पूरे किए गए कार्य के बजाय अधूरे कार्य को याद रखने की संभावना अधिक बनी रहती है । यह बात हमारे आत्मविश्वास को काम करती रहती है । रेटिंग स्केल से आप इसे डिसाइड कर सकते हैं और विश्लेषण कर सकते हैं कि मुझे इस अध्याय पर 80% पकड़ है और इस अध्याय पर 20% पकड़ है । 80 वाले को भी समय दें । लेकिन साथ-साथ जहां पर आपको यह लगता है कि यह थोड़ा- सा मुश्किल पाठ है तो वहां भी निरंतर टाइम दे। ताकि जब पेपर हो तो एकदम से इस बात का बोझ बिल्कुल ना बने ।
जिस विषय पर आपकी कम समझ है उसको अनदेखा ना करें । आप मान कर चले कि यदि आप पानी से डरते हैं और आप डर-डर के पानी के नजदीक ही नहीं जा पा रहे हैं । इसका मतलब यह नहीं है कि पानी के बारे में आप सहज हो जाएंगे, बल्कि यह आपके भीतर और अधिक डर पैदा करेगा । ठीक ऐसे ही जहां आपको कम समझ है वहां पर एक नया तरीका अपनाकर उस विषय पर फोकस करें । आज तक आप डर चुके हैं, कोई बड़ी बात नहीं है ।लेकिन आज आपको यह बात पता चली है कि यदि मुझे किसी चीज के बारे में सहज होना है तो मुझे उसके नजदीक जाना पड़ेगा । पानी का डर खत्म करना है तो हमें पानी में उतरना पड़ेगा । जिन टॉपिक को आप अच्छे से नहीं जानते हैं । उसके बारे में आपको अंदर घुस के उसके ऊपर काम करना पड़ेगा और तभी आप और अच्छे से परफॉर्म कर पाएंगे।
प्रेजेंटेशन स्किल
आपने देखा होगा कि कई ऐसे बच्चे हैं जो यूनिट टेस्ट या क्लास में जो बेसिक टेस्ट होते हैं उनमें अच्छा नहीं कर पाते हैं । लेकिन जब एग्जाम होता है तो उसमें बहुत अच्छा स्कोर कर पाते हैं । इसके पीछे एक तरीका है उनकी प्रेजेंटेशन स्किल भी होती है। आप किसी चीज को कैसे लिखते हैं, कैसे डायग्राम बनाते हैं, कैसे पेन और पेंसिल का प्रयोग करते हैं । जो आपका पेपर चेक करता है उसके दिमाग में पॉइंट जाता है कि बच्चा बड़ा स्पष्ट - सा चीज को प्रेजेंट करना जानता है आपने कोई चीज पढ़ ली है लिख कर देख लीजिए । आप कोई डायग्राम को पढ़ रहे हैं तो उसे डायग्राम को थोड़ा बना कर देख लीजिए ।जरुरी नहीं है कि हम युद्ध लड़े तभी जाकर अपने हथियारों का इस्तेमाल करें । क्या पता उस समय कोई चीज आपको आरामदायक ना लगे, तब आपको यह फिर से परेशान कर देगी ।
अजीबोगरीब डर
जब परीक्षा हाल में बैठते हैं तब वह एनवायरमेंटल आरामदायक नहीं होता है। क्लास में बहुत अच्छे से लिख सकते हैं लेकिन पेपर के समय लिखना मुश्किल हो जाता है। इस स्थिति से बचने के लिए आप ऐसा कर सकते हैं कि 15 मिनट पहले परीक्षा भवन में पहुंच जाए ।वहां जाकर थोड़ा सा माहौल चेक कर ले । कई विद्यार्थी इस बात से डर जाते हैं कि मेरे पास तो कोई पर्ची नहीं है, लेकिन इंस्ट्रक्टर आएगा , मुझे भी चेक करेगा , अपने कॉन्फिडेंस को बिल्कुल कम कर लेते हैं। कई बच्चों को पेपर पहले नहीं मिला । मुझे तो 5 मिनट लेट मिला, मुझे अब 5 मिनट और जल्दी-जल्दी लिखना पड़ेगा । इस बात से भी बच्चे कई बार चिंतित होकर अपना संतुलन को देते हैं और पेपर में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं।
तुलनात्मक सोच
एग्जाम के दरमियान भी हम कंपटीशन लेकर चलते हैं । टेंशन तो लेनी चाहिए इतने सारे लोग मेरी क्लास का मॉनिटर भी टेंशन में है ।कई बच्चे टेंशन ले रहे हैं और हम बिल्कुल भी टेंशन में नहीं हैं । हम इस मामले में भी तुलनात्मक सोच लेकर चलते हैं। एग्जाम को एग्जाम तक की सीमित रखें । बहुत सामान्य भाषा में समझे तो स्ट्रेस बहुत ज्यादा होना भी प्रॉब्लम और स्ट्रेस ना होना भी प्रॉब्लम है । दो तरह के स्ट्रेस पाए जाते हैं यूस्ट्रेस में यू का मतलब ‘अच्छा’ और स्ट्रेस का मतलब तनाव है. ये दोनों साथ मिलकर ऐसे तनाव के बारे में बताते हैं, जो लाभदायक या मददगार हैं। यह तनाव के ठीक उल्टा है, जो शारीरिक या मनोवैज्ञानिक दोनों हो सकता है. यह अमूमन कम समय के लिए व्यक्ति को प्रभावित करता है और इसकी वजह से लोग उत्साहित महसूस करते हैं दूसरा है डिस्ट्रेस , इसमें व्यक्ति को तनाव के उच्च स्तर के कारण प्रतिकूल स्वास्थ्य स्थितियों का अनुभव होने की अधिक संभावना हो जाती है। उदाहरण के लिए, जो व्यक्ति उच्च स्तर के मनोवैज्ञानिक संकट का अनुभव करते हैं, उनमें हृदय संबंधी रोग, स्ट्रोक या आत्मघाती विचार विकसित होने की संभावना अधिक होती है। स्ट्रेस के बीच का एक तालमेल रखें । आप वही कर रहे हैं जो अभी तक आपने तैयारी की है ।
डिजिटल डिटॉक्स
इस सदी में रहते हुए अगर हम पैसे घर भूल गए हैं तो कोई बड़ी बात नहीं होती है लेकिन अगर मोबाइल भूल गए हैं तो हम घर वापस जा सकते हैं । आज हमारी आत्माएं बाहर निकाल कर मोबाइल में चली गई है ।यह बात बच्चों पर भी लागू होती है। पेरेंट्स और सभी पर लागू होती है लेकिन जब आप एग्जाम दे रहे हैं तो समय के लिए फोन से आप दूरी बना सकते हैं । शोध बताते हैं कि स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट से आंखों की कंट्रास्ट सेंस्टिविटी में कमी आती है जिससे आंखों में खिंचाव होता है। यह भी देखा गया है कि लोग स्क्रीन पर अपने काम में व्यस्त होने पर अपनी आंखों को कम झपकाते हैं जिससे आंखें सूख जाती हैं और आंखों में जलन होती है।आप चाहे तो थोड़े समय के लिए एक ऐसा माहौल बना सकते हैं और थोड़ा सा डिटॉक्स होने की जरूरत है।
माता-पिता का बच्चों से वार्तालाप
फैमिली इज ए बैकअप पॉइंट फॉर देयर चिल्ड्रन । बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं और आप अपने ज्ञान प्रदर्शन के चक्कर में बच्चों से बात-बात पर उनका टेस्ट लेने लग जाते हैं । हर एक समय बच्चा टेस्ट देने के मूड में होता ही नहीं होता है। आप कोई बोर्ड नहीं है इसलिए कृपा करके अपने आप को हर समय बोर्ड के रूप में प्रस्तुत न करें। आप सोच कर देखिए कि आपका बॉस आपके आसपास आपके चेयर के चारों तरफ घूम रहा यदि है और क्या आप उस समय अच्छे में काम कर पाते हैं । आपकी उपस्थिति से बच्चा अच्छा महसूस नहीं करता है और वह दबाव महसूस करने लग जाता हैं ।बच्चों को सुरक्षात्मक माहौल बनाने का प्रयास करें । यदि आप उन्हें आगे नहीं बढ़ा सकते तो कम से कम अपनी सीमित बुद्धि और सीमित ज्ञान के कारण अजीबोगरीब हरकतों से बच्चों के ऊपर एक अप्रत्यक्ष दबाव बिल्कुल भी ना बनाएं। आप बार-बार उन्हें यह मत कहे कि ये काम करके दिखाओ।
परीक्षा एक सामान्य प्रक्रिया है
परीक्षा के समय बच्चों के सामने ऐसा माहौल बना दिया जाता है कि अब तो पता नहीं कौन सा बड़ा युद्ध लड़ने जा रहा है । बच्चे को कहा जाता है कि हम तेरे लिए ढेर सारे पेन ले आया हूं । तेरे लिए नए कपड़े और स्टडी टेबल लेकर आए हैं । खासकर मम्मी घर में उसे अलग-अलग चीज खिलाएंगे । इतनी खास इंतजाम देख कर वह सोचने लग जाता है कि यह पेपर तो बहुत ही बड़ी माया है और मेरे ऊपर तो बहुत सारी उम्मीदें सवार हो गई है । अब बच्चा उन उम्मीदों को लेकर चिंता करना शुरू कर देता है और इस चिंता के साथ वह अपनी पूरी तैयारी को कई बार मुकम्मल भी नहीं कर पता है । बच्चों को इतना अधिक प्रोटेक्ट न करें क्योंकि जैसे रोज पौधे में पानी डालने की बजाय आपने एक ही दिन में 20 लीटर पानी उस पर लुटा दिया। तब उसका कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है । थोड़ा-थोड़ा पोषण दें और उसकी हेल्प करें । अपने परिपक्व धैर्य का परिचय दें ।
नींद
जिस प्रकार से हमारे फोन को रोज चार्ज करना जरूरी है उसी प्रकार से नींद भी हमें एक तरह से चार्ज करती है । अगर हम योगा और मेडिटेशन करते हैं । ये भी हमारी याददाश्त शक्ति को सुरक्षित बनाए रखती है ।यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया में हुई एक स्टडी में यह बात सामने आई है. कम घंटों की नींद याददाश्त को प्रभावित करने के साथ-साथ मेटाबॉलिज्म और रोग-प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) को भी प्रभावित करती है।
स्ट्रगल को रिस्पेक्ट देना सीखिए
कभी-कभी आप सोच कर देखिए आपका बच्चा मेहनत कर रहा है और कई बार बहुत सारे परिस्थितियों के कारण बच्चे का रिजल्ट वैसा नहीं आता है। जैसा हम उम्मीद करते हैं । पेरेंट्स उसके स्ट्रगल को रिस्पेक्ट दें । ध्यान रखिए बुरे समय में जो लोग किसी के रिस्पेक्ट करते हैं तो अच्छा समय में भी वह हमेशा उन लोगों को याद करता है । थोड़े समय के बाद ही यह चीज हमेशा लौट कर आती है हमारे जीवन में भी ऐसी पॉजिटिविटी बहुत ही जरूरी है ।जैसे हम किसी को रिस्पेक्ट देते हैं, वापस वही लौट के आती है । जो घेरा पौधे को सुरक्षा देने के लिए दिन -रात उसके पास रहता है फिर वही पौधा पेड़ बनकर उसे सबसे गहरी छाया प्रदान करता है । वहीं उसके सबसे करीब होता है । यह बच्चों पर भी लागू है यह सारी दुनिया पर लागू है और स्ट्रगल के समय में अपने बच्चों को मदद करिए बजाय इसके कि उन्हें डायरेक्ट करें।
रामानुजन अप्रोच
अंत में इतना कहना चाहता हूं कि रामानुजन को याद करिए एक ऐसे महान गणितज्ञ जिनकी इतनी सारी थ्योरी है । उनका सॉल्यूशन हमें अभी तक भी नहीं मिला है और वह दुनिया से जा चुके हैं । रामानुजन जब पेपर देते थे तब मैथ में 100 में से 100 नंबर आते थे और बाकी सारे सब्जेक्ट में फेल हो जाता था। ठीक ऐसे ही हमारे बच्चे में भी हर एक सब्जेक्ट के लिए नहीं बने हैं । हर एक क्षेत्र जैसे कल्चरल एक्टिविटीज , मैथमेटिक्स , और इंग्लिश आदि में भी वह सब जगह टॉपर बने। इस तरह की बात की उम्मीद से थोड़ा दूर हो जाए । जीवन में एक ही क्षेत्र से हमारी पहचान बन सकती है । ट्राई टू बी एवरीथिंग, यू विल बी नथिंग आफ्टर सम टाइम। कई बार इस एप्रोच को भी ध्यान में रखें कि आपका बच्चा हर सब्जेक्ट में अच्छा हो सकता है लेकिन उसी तरीके से परफॉर्म न करें जो उसके फेवरेट सब्जेक्ट में परफॉर्म करता है ।